सिंहासन चक्र के हिसाब से कैसा रहेगा मोदी-३ सरकार का कार्यकाल ?

सिंहासन चक्र के हिसाब से कैसा रहेगा मोदी-३ सरकार का कार्यकाल ?


किसी भी सरकार की कार्य शैली को देखने के लिए कई विधाएँ हैं| उसी में एक है सिंहासन चक्र| मेदिनी ज्योतिष की इस विधा में शपथ ग्रहण के मुहूर्त समय का सिंहासन चक्र बनाया जाता है और उसी का विश्लेषण किया जाता है|

सर्वप्रथम आइये देखते हैं की सिंहासन चक्र बनता कैसे है| शास्त्रों में कुल निम्न ३ तरह के सिंहासन चक्र बताये गए हैं|

१) अश्वपति - मृगशिरा सिंहासन

२) नरपति - चित्रा सिंहासन

३) गजपति - धनिष्ठा सिंहासन

अपने नाम के अनुरूप इनके परिणाम होते हैं| अश्वपति में शाशन व्यवस्था तेजी से आगे बढ़ती है| निर्णय समय से लिए जाते हैं| व्यापार में वृद्धि होती है|

नरपति में शाशन लोगों की भलाई के बारे में ज्यादा लगा रहता है| गरीबों से सम्बंधित योजनाएं प्राथमिकता पाती हैं| गजपति में शाशन व्यवस्था हाथी की तरह मतवाले अंदाज में चलती है| विरोधी सक्रिय रहते हैं लेकिन शाशन उन पर ध्यान नहीं देता| २७ नक्षत्रो को कुछ इस तरह से ३ अलग अलग सिंहासनों में ५ नाड़ियों सिंहासन, सिंह, पट्ट, आसन और आधार में विभक्त किया गया है|


मूलभूत फल कथन

Ø  अगर शपथ ग्रहण आधार नाड़ी में हो तो सरकार स्थायी नहीं होती|

Ø  आसन नाड़ी में शपथ लेने पर सरकार अच्छी चलती है और लोगों का सहयोग मिलता रहता है|

Ø  पट्ट नाड़ी में सरकार मजबूत रहती है और आसन नाड़ी से बेहतर स्थायित्व होता है|

Ø  सिंह नाड़ी में राजा दृढ प्रशाशक, युद्ध प्रिय, स्वाभिमानी, राज्यपालक, थोड़ा बहुत स्वेच्छाचारी होता है|

Ø  सिंहासन नाड़ी में राजा तानाशाही प्रवृति का, तेजस्विता से परिपूर्ण, दबंग, चंचल विचारों वाला, उग्र और दंडनीति का पालन करने वाला होता है|

Ø  जिस नाड़ी के नक्षत्रों में पाप ग्रह हों, शपथ का नक्षत्र स्वयं पीड़ित हो, या लग्न पीड़ित हो तो ये फल अवश्यम्भावी होते हैं|

Ø  जिस नाड़ी में शनि हो उसमे जनधन की हानि, उपद्रव सूखा इत्यादि का कारक बनता है|

Ø  जिस नाड़ी में गुरु हों और कोई पाप प्रभाव न हो तो वह नाड़ी शुभ होती है| आसन नाड़ी उत्तम होती है| अब जबकि श्री नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार भारत के प्रधान मंत्री पद की शपथ ले ली है तो आइये देखते हैं की ग्रह और नक्षत्र क्या इशारा कर रहे हैं|

 

शपथ ग्रहण का मुहूर्त -  श्री नरेंद्र मोदी ने ९ जून २०२४ को शाम ७ बजकर २३ मिनट और ३५ सेकंड पर प्रधान मंत्री पद की शपथ ली| शपथ ग्रहण के समय की कुंडली कुछ इस तरह से है|


शपथ ग्रहण मुहूर्त कुंडली का बहुत से ज्योतिषियों ने  अपने अपने तरीके से विवेचन किया है इस लिए हम उस पर समय न लगाते हुए सीधे सिंहासन चक्र पर आते हैं|

ग्रह

नक्षत्र  

नाड़ी

सूर्य

मृगशिरा

सिंहासन

चन्द्रमा

पुनर्वसु       

पट्ट

मंगल        

अश्विनी 

आधार

बुध    

रोहिणी

 सिंह

गुरु  

कृतिका 

पट्ट

शुक्र

मृगशिरा

सिंहासन

शनि

 पूर्व भाद्रपद 

पट्ट

राहु

रेवती  

आधार

केतु

हस्त

  सिंह

उपरोक्त स्थिति में देखें तो चन्द्रम पुनर्वसु नक्षत्र में है| इस तरह से शपथग्रहण पट्ट नाड़ी में हुआ है अतः सरकार स्थायी रहेगी और प्रधानमंत्री मोदी अपनी कार्यशैली के हिसाब से कार्य कर सकेंगे|

पट्ट नाड़ी में ही गुरु और शनि भी विराजमान हैं अतः राह आसन नहीं होगी और बीच में विरोधियोँ और गठबंधन की मजबूरियों से दो चार होना पड़ेगा| लेकिन साथ में गुरु की उपस्थिति धर्मकर्म कर्म का मार्ग प्रशस्त  करेगी और उचित समाधान भी मिलेगा| 

तीन ग्रह पट्ट नाड़ी में, २-२ सिंहासन, सिंह और आधार नाड़ी में होने से सरकार में संतुलन है लेकिन आसन नाड़ी में कोई ग्रह नहीं है|

शपथ ग्रहण नाड़ी पट्ट में शनि की उपस्थिति ठीक नहीं है लेकिन नाड़ी के दशाधिपति गुरु की उपस्थिति स्थिति को सम्हाल लेगी|

लग्न लग्नेश से दृष्ट है| लग्नेश अपनी ही राशि में हैं अतः सरकार ठीक चलेगी| देव गुरु की नाड़ी और लग्न पर प्रभाव होने से आर्थिक विकाश सुदृढ़ रहेगा|

सबसे खास बात यह है की सप्तमेश शुक्र जो की विपक्ष का कारक है, अस्त है अतः विपक्ष के पास एक योग्य नेतृत्व का अभाव रहेगा| 

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