किसी भी सरकार की कार्य शैली को देखने के लिए कई विधाएँ हैं| उसी में एक है सिंहासन चक्र| मेदिनी ज्योतिष की इस विधा में शपथ ग्रहण के मुहूर्त समय का सिंहासन चक्र बनाया जाता है और उसी का विश्लेषण किया जाता है|
सर्वप्रथम
आइये देखते हैं की सिंहासन चक्र बनता कैसे है| शास्त्रों में कुल निम्न ३ तरह के सिंहासन चक्र बताये गए हैं|
१)
अश्वपति - मृगशिरा सिंहासन
२)
नरपति - चित्रा सिंहासन
३)
गजपति - धनिष्ठा सिंहासन
अपने
नाम के अनुरूप इनके परिणाम होते हैं| अश्वपति में शाशन व्यवस्था तेजी से आगे बढ़ती है| निर्णय समय से लिए जाते हैं| व्यापार में वृद्धि होती है|
नरपति
में शाशन लोगों की भलाई के बारे में ज्यादा लगा रहता है| गरीबों से सम्बंधित योजनाएं प्राथमिकता पाती हैं| गजपति में शाशन व्यवस्था हाथी की तरह मतवाले अंदाज में चलती है| विरोधी सक्रिय रहते हैं लेकिन शाशन उन पर ध्यान नहीं देता| २७ नक्षत्रो को कुछ इस तरह से ३ अलग अलग
सिंहासनों में ५ नाड़ियों सिंहासन, सिंह, पट्ट, आसन और आधार में विभक्त किया गया है|
Ø अगर शपथ ग्रहण आधार नाड़ी में हो तो सरकार स्थायी नहीं होती|
Ø आसन नाड़ी में शपथ लेने पर सरकार अच्छी चलती है और लोगों का सहयोग मिलता रहता है|
Ø पट्ट नाड़ी में सरकार मजबूत रहती है और आसन नाड़ी से बेहतर स्थायित्व होता है|
Ø सिंह नाड़ी में राजा दृढ प्रशाशक, युद्ध प्रिय, स्वाभिमानी, राज्यपालक, थोड़ा बहुत स्वेच्छाचारी होता है|
Ø सिंहासन नाड़ी में राजा तानाशाही प्रवृति का, तेजस्विता से परिपूर्ण, दबंग, चंचल विचारों वाला, उग्र और दंडनीति का पालन करने वाला होता है|
Ø जिस नाड़ी के नक्षत्रों में पाप ग्रह हों, शपथ का नक्षत्र स्वयं पीड़ित हो, या लग्न पीड़ित हो तो ये फल अवश्यम्भावी होते हैं|
Ø जिस नाड़ी में शनि हो उसमे जनधन की हानि, उपद्रव सूखा इत्यादि का कारक बनता है|
Ø जिस नाड़ी में गुरु हों और कोई पाप प्रभाव न हो तो वह नाड़ी शुभ होती है| आसन नाड़ी उत्तम होती है| अब जबकि श्री नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार भारत के प्रधान मंत्री पद की शपथ ले ली है तो आइये देखते हैं की ग्रह और नक्षत्र क्या इशारा कर रहे हैं|
शपथ ग्रहण का मुहूर्त
- श्री
नरेंद्र मोदी ने ९ जून २०२४ को शाम ७ बजकर २३ मिनट और ३५ सेकंड पर प्रधान मंत्री पद की शपथ ली| शपथ ग्रहण के समय की कुंडली कुछ इस तरह से है|
शपथ
ग्रहण मुहूर्त कुंडली का बहुत से ज्योतिषियों ने अपने
अपने तरीके से विवेचन किया है इस लिए हम उस पर समय न लगाते हुए सीधे सिंहासन चक्र पर आते हैं|
ग्रह |
नक्षत्र |
नाड़ी |
सूर्य |
मृगशिरा |
सिंहासन |
चन्द्रमा |
पुनर्वसु
|
पट्ट |
मंगल |
अश्विनी |
आधार |
बुध |
रोहिणी |
सिंह |
गुरु |
कृतिका |
पट्ट |
शुक्र |
मृगशिरा |
सिंहासन |
शनि |
पूर्व भाद्रपद |
पट्ट |
राहु |
रेवती |
आधार |
केतु |
हस्त |
सिंह |
उपरोक्त
स्थिति में देखें तो
चन्द्रम पुनर्वसु नक्षत्र में है| इस
तरह से शपथग्रहण पट्ट
नाड़ी में हुआ है
अतः सरकार स्थायी रहेगी और प्रधानमंत्री मोदी
अपनी कार्यशैली के हिसाब से
कार्य कर सकेंगे|
पट्ट
नाड़ी में ही गुरु
और शनि भी विराजमान
हैं अतः राह आसन
नहीं होगी और बीच
में विरोधियोँ और गठबंधन की
मजबूरियों से दो चार
होना पड़ेगा| लेकिन साथ में गुरु
की उपस्थिति धर्मकर्म कर्म का मार्ग
प्रशस्त करेगी
और उचित समाधान भी
मिलेगा|
तीन
ग्रह पट्ट नाड़ी में,
२-२ सिंहासन, सिंह
और आधार नाड़ी में
होने से सरकार में
संतुलन है लेकिन आसन
नाड़ी में कोई ग्रह
नहीं है|
शपथ
ग्रहण नाड़ी पट्ट में
शनि की उपस्थिति ठीक
नहीं है लेकिन नाड़ी
के दशाधिपति गुरु की उपस्थिति
स्थिति को सम्हाल लेगी|
लग्न
लग्नेश से दृष्ट है|
लग्नेश अपनी ही राशि
में हैं अतः सरकार
ठीक चलेगी| देव गुरु की
नाड़ी और लग्न पर
प्रभाव होने से आर्थिक
विकाश सुदृढ़ रहेगा|
सबसे
खास बात यह है
की सप्तमेश शुक्र जो की विपक्ष
का कारक है, अस्त
है अतः विपक्ष के
पास एक योग्य नेतृत्व
का अभाव रहेगा|
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