२०२४ में वर्षा की भविष्यवाणी

२०२४ में वर्षा की भविष्यवाणी



भारतीय ज्योतिष में मानव जीवन से सम्बंधित बहुत से प्रश्नो को हल करने की क्षमता है| ऋतुओ का अध्ययन भी उनका एक हिस्सा है|

वर्षा की भविष्यवाणी करने के लिए सामान्यतया निम्न विधियों का प्रयोग किया जाता है|

Ø  आकाशीय परिषद् के पदाधिकारी

Ø  रोहिणी वास्

Ø  आर्द्र प्रवेश कुंडली

Ø  सप्तनाड़ी चक्र

आइये हम संवत्सर २०८१ का इन्ही तथ्यों पर अध्ययन करते हैं|

) आकाशीय परिषद् के पदाधिकारी - संवत्सर २०८१ में राजा मंगल हैं| इनके वाहन नाव या बैल हैं| जिस वर्ष मंगल राजा बनते हैं उस वर्ष उत्पादन में थोड़ी कमी, पालतू जानवरों को कष्ट, वाहन दुर्घटना या आतंकियों द्वारा कष्ट की सम्भावना रहती है| अतः वर्षा थोड़ा कम होती है| पहाड़ी खेत्रों में वर्षा अधिक होती है

जिस दिन सूर्य आर्द्रा  नक्षत्र में प्रवेश करते हैं उस वार का स्वामी मेघेश बनता हैशुक्र इस बार मेघेश हैं इस वजह से अच्छी बरसात की सम्भावना है और चावल चीनी और मिठाइयों का उत्पादन अच्छा होने की सम्भावना है|

हाचतुर्मेघ में द्रोण है जो कि अधिक वर्षा, पर्याप्त अन्न का उत्पादन कहीं  कहीं बाढ़ की स्थिति बनती है|

) रोहिणी वास - जब सूर्य मेष राशि में आता है तो उस दिन की चंद्र राशि से रोहिणी तक गिनने से जो संख्या आती है उससे रोहिणी वास् की गणना होती है| इस बार सूर्य  मेष में गोचर किये तो चंद्र नक्षत्र आर्द्रा था अतः अभिजीत को लेकर कुल २८ नक्षत्र का अंतर था अतः रोहिणी वास् तट पर यानि धोबी के घर होगा| अतः वर्षा ठीक ठाक यानि पर्याप्त होगी|

3) आर्द्र प्रवेश की कुंडली-

सूर्य देव इस साल २१ जून २०२४ को रात्रि १२ बज कर ०६ मिनट पर आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे|

उस समय की कुंडली कुछ इस तरह से है|


सूर्य मंगल और शनि शुष्क ग्रह होते हैं| चन्द्रमा और शुक्र स्वाभाविक जलीय गृह हैं| बुध और गुरु जब जलीय राशियों में होते हैं  तो जलीय ग्रह जैसा व्यवहार करते हैं| ४, ७, ८, १०, ११ और १२ जलीय राशियां होती हैं| शेष राशियां निर्जल हैं| ४,६,१०,१२ राशियां जलचर हैं| अतः वर्षा विचार में कर्क, कन्या, तुला, वृश्चिक, मकर, कुम्भ और मीन महत्त्व पूर्ण हैं| 

१) चूँकि सूर्य आर्द्रा नक्षत्र में मध्य रात्रि में हो रहा है अतः अच्छी वर्षा की सम्भावना बनती है| फसलों की पैदावार के लिए अच्छे संकेत हैं|

२)  हालाँकि कृतिका नक्षत्र और चतुर्दशी तिथि होने कहीं कहीं पर वर्षा में कमी और महंगाई बढ़ने की संभावना रहेगी|

३) बुधवार का दिन होना सुभिक्ष है|

४)  चन्द्रमा का अग्नि तत्व की राशि में मंगल के साथ होना अच्छा नहीं और कुछ एक जगह कम  वर्षा की भी संभावना भी दिखाता है|

५) बुध और शुक्र का अस्त होना भी वर्षा में न्यूनता का परिचायक है|

4) सप्त नाड़ी चक्र

आर्द्रा प्रवेश के समय ग्रहों की स्थिति कुछ इस तरह से है|

ग्रह

नक्षत्र

नक्षत्र संख्या 

नाड़ी नाम

नाड़ी स्वामी

सूर्य

आर्द्रा

5

दहन

मंगल

चन्द्रमा

मूल

19

दहन

मंगल

मंगल

भरनी

2

प्रचंड

शनि

बुध

आर्द्रा

5

दहन

मंगल

गुरु

रोहिणी

4

पवन 

सूर्य

शुक्र

आर्द्रा

5

दहन

मंगल

शनि

पूर्वा भाद्रपद

26

नीर

शुक्र

राहु

रेवती

28

दहन

मंगल

केतु

हस्त   

13

पवन

सूर्य

संवत्सर के मंत्री शनि शुक्र की नीर नाड़ी में गोचर कर रहे हैं यह वर्षा के लिए एक शुभ संकेत है| हालाँकि गुरु पवन नाड़ी में होने से मेघ उतने प्रभावशाली नहीं हो पाएंगे और अतिवृष्टि की सम्भावना नहीं बनेगी| अभी तो सभी ग्रह वायु या अग्नि तत्व की नाड़ियों में हैं| जब इनका गोचर जलीय नाड़ियों में होगा तो वर्षा होगी|

कुल मिलाकर वर्षा सामान्य होने की सम्भावना कहीं कहीं पर थोड़ी न्यूनता की संभावना भी है| यह गणना चंडीगढ़ के अक्षांश पर की गयी है| इस लिए किसी दूसरे स्थान के किये उचित समायोजन की आवश्यकता रहेगी|

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