किसी भी जातक के जीवन में कभी कभी कुछ ऐसी घटनाएं होती हैं जो उसके जीवन की दिशा ही बदल देती है? जातक समझ नहीं पाता कि ऐसा क्यूँ हुआ |
उदहारण
के तौर पर डॉक्टर
गोविन्दप्पा वेंकटस्वामी एक सेवानिवृत्त नेत्र
चिकित्सक थे | एक बार
मदुराई के मीनाक्षी मंदिर
के सामने से जाते हुए
उन्होंने कई नेत्रहीनों को
देखा | नेत्र की देवी के
मंदिर के सामने उन्हें
नेत्रहीनों की भीड़ देखकर
उन्हें बहुत कष्ट हुआ
| जिसे देखकर उनके अवचेतन मन
में इसके लिए कुछ
करने का विचार आया|
उसके बाद उन्होंने कैंप
लगाकर बहुत से नेत्रहीनों
की मुफ्त शल्य चिकित्सा की| उन्होंने
अपने जीवन काल में
एक लाख से अधिक
लोगों को जीवन ज्योति
दी | उनका यही प्रयास
आज का अरविंद हॉस्पिटल
शृंखला के रूप में
हमारे सामने है| आंख में
लगने वाले लेन्स जो
कि पहले
भारत में विदेशों से
मह्गे दामों पर आयात किये
जाते थे| डॉ वेंकटस्वामी
ने उन्हें भारत में ही बनाने का
उपक्रम शुरू किया वह
भी उच्च गुणवत्ता और
बेहद कम कीमत पर|
आज ये लेंस १६०
से अधिक देशों में
निर्यात किये जाते हैं|
अब
सवाल उठता है कि
अपने जीवन में आने
वाले इन महत्व पूर्ण
बदलावों को व्यक्ति ज्योतिष
के द्वारा कैसे जान सकता
है?
जैसे
की जन्मपत्रिका में दशा और
गोचर से व्यक्ति की
जीवन यात्रा के बारे में
जाना जा सकता है|
लेकिन भृगु नंदी नाड़ी
जातक के जीवन के
अंतिम गंतव्य और उनसे सम्बंधित
बदलावों के बारे में
बड़ी सटीकता से जानकारी देती
है| जी हां आज
हम भृगु बिंदु के
बारे में बात करेंगे|
भृगु बिंदु को जीवन का
अंतिम लक्ष्य बोला जाता है|
भृगु
बिंदु की गणना - राहु
और चन्द्रमा के मध्य बिंदु
को ही भृगु बिंदु
कहा जाता है| जैसा की चन्द्रमा
हमारा मन है जो
कि हमारे जीवन के बारे
में हर निर्णय लेने
में सक्षम होता है| उसके
अनुसार ही हम कर्म
करते हैं| जबकि राहु
हमारे मन की अवचेतन
अवस्था को दिखाता है
जो कि हम करना
चाहते हैं लेकिन कर
नहीं पा रहे होते
हैं| हमारे जीवन का डेस्टिनी
पॉइंट इन दोनो के
बीच में होता है|
इस तरह से भृगु
बिंदु व्यक्ति के कार्मिक जोन
को दिखाता है|
आज
हर सॉफ्टवेयर भृगु बिंदु की गणना खुद करके देता
है| अन्यथा राहु और चन्द्रमा
के अंशो के अंतर
को आधा करके राहु
के अंश में जोड़ने
पर भृगु बिंदु आता
है|
भृगु
बिंदु से फलित कैसे करे?
भृगु
बिंदु एक ऐसा मार्ग
होता है जिसे हम
जानबूझकर या अनजाने में
पकड़ ही लेते हैं|
या एक तरह से
कहें तो यह ऐसा
बिंदु है जो हमारे
बचे हुए कर्म को
दिखाता है जहाँ पर
ऊर्जा संचित रहती है और
उचित समय पर सक्रिय
हो जाती है|
भृगु
बिंदु चन्द्रमा के जितने करीब
होगा जातक को उसका
आभास जल्दी हो जायेगा और
व्यक्ति अपने कर्तव्य पथ
पर उतना जल्दी आ
जायेगा | और जब भृगु
बिंदु दूर होगा तो
व्यक्ति उतनी देर से
जीवन लक्ष्य को पा सकेगा|
अगर
भृगु बिंदु केंद्र में हो (१,४,७,१०
भाव) तो जातक के
जीवन में सभी सुख
मिलेंगे और वह अपनी
जरूरत को पूरा करने
में सक्षम होगा |
अगर
भृगु बिंदु त्रिकोण में हो (१,५,९भाव) तो
यह अगले और पिछले
जीवन की ऊर्जाओं को
जोड़ देगा| व्यक्ति की कोई अधूरी
इच्छा रह गयी है
तो वह पूरी होती
है|
अगर
यह बिंदु २, ३, ११
भावों में हो तो
कुछ नया करने की
प्रेरणा मिलेगी लेकिन खुद प्रयास करना
होगा|
अगर
यह बिंदु ६,८, या
१२ भावों में हो तो
अधिक प्रयास की जरूरत रहेगी
क्यूकि ऐसी स्थिति में
अवसर मिलने पर भी जातक
चूक जाता है| किसी
न किसी नकारात्मकता के
चलते जातक अवसर गवां
देता है| अतः जिनका
भृगु बिंदु ६, ८, १२
भाव में हो उन्हें
अवसरों को छोड़ना नहीं
चाहिए|
इसी
तरह से यह देखें
की भृगु बिंदु किस
भाव में है| उस
भाव के कार्यकत्व और
राशि, नक्षत्र या उस भाव
में बैठे ग्रहों के
कार्यकत्वों से फलित किया
जा सकता है|
भावों
के कार्यकत्व के लिए देखे - https://www.trufeeling.com/2022/03/blog-post.html?m=1
अगर
सम्बंधित भाव में शुभ
ग्रह बैठे हैं तो
अच्छे परिणाम आते हैं अन्यथा
अशुभ ग्रहो के बैठने से
अशुभ परिणाम भी देखने को
मिलता है|
भृगु
बिंदु कब सक्रिय होता है ?
वैसे
तो भृगु बिंदु के
राशीश की दशा या
अन्तर्दशा में यह सक्रिय
होता है| राशि दशा
में भी परिणाम देखे
जा सकते हैं|
लेकिन
सबसे ज्यादा प्रामाणिक परिणाम गोचर से देखने
में मिलते हैं|
गुरु
और शुक्र के द्विगोचर के
समय अच्छे परिणाम देखने को मिलते हैं
उसी तरह से शनि
राहु या शनि मंगल
के गोचर के समय
अप्रिय स्थितियां भी देखी गयी
हैं|
भृगु
बिंदु के त्रिकोण से
ग्रहो के गोचर का
भी शुभाशुभ परिणाम देखने में आता है|
उदाहण-
–1)
मैं
खुद अपना अनुभव बताना चाहुँगा | मेरे पत्रिका में भृगु बिंदु मीन राशि में है| २०२२ में जब गुरु और शुक्र ने इन पर
गोचर किया तो मेरी सर्विस में परिवर्तन आया और स्थान परिवर्तन हुआ|
इसी वर्ष ज्योतिष प्रवीण
और
बाद में ज्योतिष विशारद
की परीक्षा में सफलता मिली
और बहुत से ज्योतिष
गुरुओ का अनुग्रह प्राप्त
हुआ |
इसी तरह से लगभग
४ मई को मंगल
ने इस बिंदु से
गोचर किया और उसी
दिन से रक्तचाप की
समस्या शुरू हुई| १०
मई आते आते हॉस्पिटल
जाने की नौबत आ
गई|
चुकि चन्द्रमा और बुध जैसे
शुभ ग्रह भी मीन
में ही गोचर कर
रहे थे अतः मित्र
की सहायता से इलाज हुआ|
2) प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की कुंडली
में भृगु बिंदु कुम्भ
राशि में हैं जिस
पर केतु बैठा है|
हम सभी जानते हैं
की उनका बचपन किन
पयिस्थितियों से गुजरा है|
२६ मई २०१४ को जब इन्होने ने प्रधानमंत्री का पद ग्रहण किया तो गुरु और बुध नवम भाव में गोचर कर रहे थे|
3) महात्मा गाँधी का भृगु बिंदु
कर्क राशि में है|
जन्मदिन - २-१०-१८६९
समय ८-२४ ऍम
स्थान – पोरबंदर|
३० अक्टूबर १९४८ को जब इनकी मृत्यु हुई तो शनि कर्क राशि से गोचर कर रहा था|
इस तरह से आप भी अपने जीवन में होने वाली घटनाओ का पूर्वानुमान भृगु बिंदु से निकाल सकते हैं|
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