सबसे पहले मैं अपने पाठक बंधुओ से इस आर्टिकल में हुई देरी के लिए क्षमा चाहता हूँ| पिछले कुछ समय से इंडियन काउंसिल ऑफ़ एस्ट्रोलॉजिकल साइंस https://www.icasindia.org/ की परीक्षाओ में व्यस्तता की वजह से देरी हुई| लेकिन वचन देता हूँ की मै आगे से अपनी ज्योतिष यात्रा के बारे में आपको हमेशा अपडेट रखुँगा |
मित्रों
भारतीय दर्शन में जीवन के
चार पुरुषार्थ बताये गए गए हैं
- धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष
| ये चारों पुरुषार्थ हमारी जन्म कुंडली में
३-३ भावों के
के त्रिकोण के माध्यम से
दिखते हैं| जहां धर्म
को पहले पांचवे और
नवें भाव से देखा
जाता है वहीं अर्थ
को दूसरे, छठवे और दसवे
भाव से | काम को
तीसरे, सातवें और ग्यारहवें भाव
से समझते है वहीं चौथा,
आठवां और बारहवां भाव
मोक्ष को प्रदर्शित करता
है| धर्म त्रिकोण मनुष्य
की शारीरिक संरचना पूर्व के संचित और
प्रारब्ध कर्मो और भाग्य को
दिखाता है वहीं अर्थ
त्रिकोण मनुष्य की उनकी धन
या प्रकृति प्रदत्त सहयोग को दिखाता है|
काम त्रिकोण मनुष्य के अंदर भविष्य
की इच्छाशक्ति, कामनाये, साझेदारी और लाभ को
व्यक्त करता है वहीं
पर मोक्ष त्रिकोण जीवन में सुख
शांति और गहन शोध,
चिंतन, दान परोपकार इत्यादि
को दिखाता है|
आगे
बढ़ने से पहले एक
निवेदन है की अगर
आपने ज्योतिष की मूल बातों
जैसे की भाव, भावेश,
राशियों और कारकों के
बारे में नहीं अवगत
हैं तो निम्न आर्टिकल
को जरूर पढ़ ले
जिससे की ज्योतिषीय सूत्र
आसानी से समझ में
आ जाएं और हम
समय चक्र को समझ
सकें और उसका लाभ
ले सकें|
धन
की स्थिति जानने के लिए हमको
मूलतः निम्न भावों को समझना पड़ेगा
१-
दूसरा भाव - यह भाव हमारे
अर्थ त्रिकोण का पहला भाव
है| जो हमारे परिवार,
संस्कार, बोली, खानपान, संचित धन और आंख
को दिखता है| हमारा परिवार
हमारा पहला धन होता
है जिससे हमें संस्कार और
मीठी बोली का धन
मिलता है जो पुरे
जीवन हमें धनार्जन या
अन्य पुरुषार्थो में हमारे काम
आता है|
२-
छठा भाव - छठा भाव हमारे
जीविकोपार्जन के लिए किये
गए संघर्ष, स्पर्धा, कर्ज, रोग इत्यादि को
दिखता है|
३-
दसवां भाव - दसवां भाव मनुष्य को
समाज के साथ जोड़ता
हैं जहां उसे मान,
सम्मान, यश, अपयश या
सफलता दिलाता है| संक्षेप में
यह भाव संघर्ष द्वारा
प्रगति व सफलता तथा
समृद्धि का मापदंड है|
४-ग्यारहवां भाव - ग्यारहवां भाव हमारे इन
प्रयत्नों या संघर्षो का
परिणाम या लाभ दिखाता है|
५-
पांचवां भाव - हमारी बुद्धि, विद्या और पूर्वजन्म के
संस्कारों का भाव है
जो हमें उपर्युक्त कार्यों
के लिए प्रेरित करता
है|
६-नौवां भाव - यह भाव हमारे
पिता, धर्म निर्वाह और
भाग्य का भाव है|
७-आठवां भाव पैतृक संपत्ति
या गड़ा धन को
दिखाता है|
अगर
ये भाव अपने भावेशों से युत, दृष्ट या
योग में होते हैं
तो उनकी दशा और
अन्तर्दशा में मजबूत होते
हैं और प्रचुर धन
लाभ करवाते हैं| दूसरे पांचवें
और नवें भाव का
शुभ ग्रहों जैसे की शुक्ल
चंद्र, बुध, शुक्र या
गुरु से युक्त या
दृष्ट होना ज्यादा अच्छा
होता है| छठवें दसवे
और ग्यारहवें भाव में पाप
ग्रह जैसे की सूर्य,
मंगल, शनि, राहु और
केतु ज्यादा अच्छे फल देते हैं|
इन
भावों के भावेश अगर
आपस में राशि परिवर्तन
करें तो धन का
लाभ हमेशा बना रहता है|
यहाँ एक चीज समझना
जरुरी है की इन
योगों का लाभ लेने
के लिए लग्नेश का
मजबूत होना जरूरी है|
अगर कोई भाव, भावेश
या कारक पाप कर्तरी
में हो या गृह
युद्ध में पराजित हो
या वक्री हो तो उचित
परिणाम मिलने में विलम्ब भी
हो सकता है |
जन्म
पत्रिका में मौजूद योगों
जैसे की राजयोग, पञ्च
महापुरुष योग, लग्नाधि या
चन्द्राधि योग भी जीवन
में धन की वृद्धि
करते हैं| इंदु
लग्न को भी उसी
प्रकार से देखा जा
सकता है|
उदाहरण के तौर पर अगर लग्नेश दूसरे भाव में बैठकर बली हो तो जातक के पास पर्याप्त पैसा होता है और अगर दूसरे भाव में पापयुक्त हो तो नुकसान भी उठाना पड़ सकता है| अगर भाग्येश अपनी उच्च राशि या मूल त्रिकोण में होकर केंद्र में धनेश या लाभेश से सम्बन्ध बनाए तो धन लक्ष्मी बनता है|
आइये हम कुछ नाम प्रसिद्ध लोगो की कुंडली में इन योगों की जाँच करते हैं| जैसा की एलन मास्क की कुंडली में देखे तो नवमेश मंगल उच्च का होकर लाभ भाव (11) में बैठा है और मजबूत लग्नेश भाग्य भाव (9) में है|
0 Comments
Please do not enter any spam links in the box