मित्रों आज हम आपकी कुंडली के चार केंद्र भावो और उनके भावेश से बनने वाले पञ्च महापुरुष योग की चर्चा करेंगे जो जातक को जीवन में अच्छी उन्नति का कारण हैं| सबसे पहले तो हम यह समझ लेते हैं की कुंडली के १, ४, ७ और १० भाव केंद्र भाव कहलाते हैं| जब ये भाव अपने उच्चाधिपतियो या भावेशों से युक्त होते हैं तो पञ्च महापुरुष योग का निर्माण होता है|| इस योग का निर्माण पंचतत्व के प्रतिनिधि ग्रहो मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि के द्वारा क्रमशः रुचक, भद्र, शंख, मालव्य और शश नाम से बनता हैं| जिनकी कुंडली में यह योग होता हैं उनको जीवन में प्रगति के भरपूर अवसर प्राप्त होते हैं|
1- रुचक योग
जब मंगल
मेष या वृश्चिक
राशि (स्वराशि) या
मकर (उच्च राशि)
में हो और लग्न से
केंद्र में हो तो रुचक
नामक योग बनता
हैं| इस योग से युक्त
जातक अपने साहस
युक्त कार्य से
धनार्जन करेगा| वह
लम्बे मुखमण्डल वाला,
बलवान, शत्रुओ पर
विजय प्राप्त करने
वाला किन्तु हठी
या अभिमानी होगा|
वह अपने अच्छे
गुणों के कारण प्रसिद्द होगा| वह
एक कुशल नेतृत्व
प्रदान करने वाला
सेना नायक हो सकता हैं
और जीवन में
सफल रहता हैं|
अगर योग से युक्त भाव
पर क्रूर ग्रहो
की दृष्टि या
युति न हो तो जातक
विद्वानों का आदर
करने वाला सभी
सुख सुविधओ का
भोग करने वाला
और शासन क्रिया
में निपुण होता
हैं|
यह योग ज्यादातर मंत्रियों, खिलाड़ियों, सेना के अधिकारियों या बिल्डर्स की कुंडली में पाया जाता हैं|रुचक योग के उदाहरण हैं-
अक्षय कुमार,
सलमान खान, अडोल्फ
हिटलर, नरेंद्र मोदी,
करूणानिधि, स्वामी विवेकानंद
और ऐश्वर्या राय
बच्चन
2- भद्र योग
जब बुध
अपनी स्वराशि मिथुन
या उच्चराशि कन्या
में होकर लग्न
से केंद्र में
स्थित हो तो भद्र नामक
योग बनता हैं|
ऐसा जातक दीर्घ
जीवी, बुद्धिमान, पवित्र
विचारोँ वाला होता
हैं| वह विद्वानों
द्वारा प्रशंसित, अमीर,
और संपन्न होता
है तथा प्रिय
वाणी बोलने वाला
होता हैं| बुध
बुद्धि का कारक ग्रह होता
हैं इसलिए अपने
अन्तर्निहित स्वाभाव के अनुसार
फल देता हैं|
ऐसा जातक साहसी
और तर्कशक्ति से
युक्त होता हैं|
भद्र योग
के उदाहरण हैं
- बिल गेट्स, लता
मंगेशकर, रणवीर सिंह
और करीना कपूर|
3- हंस योग
यदि देव
गुरु बृहस्पति अपनी उच्च राशि,
कर्क या स्वराशि
धनु या मीन में होकर
लग्न से केंद्र
में स्थित हों
तो हंस योग बनता है||
हंस योग
से युक्त जातक
शासक, सरकारी सेवा
में उच्च पदाधिकारी,
उत्तम व्यक्तित्व का
धनी, सम्मान और
प्रतिष्ठा पाने वाला
होता हैं| वह सदाचारी और स्वादिष्ट
भोजन का शौक़ीन
होता हैं| इस योग में
उत्पन्न व्यक्ति उत्कृष्ट
व्यक्तित्व और नैतिकता
से परिपूर्ण होता
हैं|हंस योग का पुरुष
जलाशयो में रमण करने वाला
अति कामुक, स्त्री
सम्भोग से कभी तृप्त न
होने वाला होता
है|
हंस योग के उदाहरण हैं - डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम, नीता अम्बानी, श्री श्री रवि शंकर, एंजेलिना जोली|
4- मालव्य योग
जब दैत्य
गुरु शुक्र स्वराशि
वृष या तुला अथवा उच्च
राशि मीन में होकर लग्न
से केंद्र में
हों तो मालव्य
योग बनता हैं|
ऐसे योग से युक्त जातक
शालीन भावभंगिमा वाला,
स्त्रियों के समान
आँखों वाला, रूपवान,
मेधावी, और धनी होता हैं|
शुक्र की प्रकृति
के अनुसार यह
योग जातक को धनी, पत्नी
और बच्चो की
ओर से सुखी बनाता हैं|
संवेदनशील, संगीत, नृत्यकला
प्रेमी और भौतिक
सुख सुविधओ से
युक्त होता हैं|इनकी स्त्री
गुणवती होती है|
ऐसा जातक उदार
किन्तु परस्त्री गामी
होता है|
मालव्य योग के उदाहरण हैं - महात्मा गाँधी, जवाहरलाल नेहरू, राजकपूर, सोनिया गाँधी और सानिया मिर्ज़ा है|
5- शश योग
यदि शनि
अपनी उच्च राशि
तुला या स्वराशि
मकर या कुम्भ
राशि में हों तो शश
योग बनता है|
इस योग में जातक बलवान,
गांव का प्रधान,
स्त्रियों की संगति
वाला, सुखी और सबसे स्वागत
पाने वाला होता
है|
इन योगों को जन्मकुंडली और चंद्र कुंडली दोनों से देखना चाहिए यदि ये योग दोनों कुंडलियों से बनते हों तो ज्यादा प्रभावी होते हैं| इससे योग में पूर्णता आती हैं और जातक भाग्यशाली होता हैं|| योगों की संख्या के अनुसार जीवन में उपलब्धियां रहती हैं| तो देखिये अगर आपकी कुंडली में ऐसे योग हैं तो कब फलीभूत होते हैं|
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