कितना सुंदर कितना प्यारा देखो गांव है मेरा
सई नदी के उत्तर तट पर सुंदर सा एक गांव है
जहां पर बाग बगीचों की कितनी सुंदर छाव है
आम, जामुन, अमरूद, पपीता, बेल मिले खुशहाली की
फलदार पेड़ हरतरफ दिखते लिए समृद्धि हरियाली की
आंवला नीम व शीशम देखो खड़े प्रकृति की शक्ति लिए
चिलबिल ढेरा ढाक लसोड़ा बबूल बांस की भक्ति लिए
नील गाय स्वछंद है टहले, नाचे मोर सुहावना से
गाय भैंस के झुंड है चरते, खुली घास मनभावन से
बच्चे घंटो नदी नहाते, खेले खेल चिल्होरन की
दूध दही भरपूर है मिलती बाल वृद्ध और किशोरन की
मोर पपीहा तान लगाए कोयल गाए मीठे गान
गौरैया भी चू चू करती और किलहटी तोड़े तान
गैस गोदाम भी खुल गया, स्कूल भी खुल गए अपने
बिजली भी पर्याप्त रहे है सड़क पूरी करे सपने सबके
अध्यात्म का केंद्र चौहरजन वाराही हैं सबकी माता
जगदम्बा बाबा की पाही पर हर राही प्यास बुझाता
महुआ के फूलो से पूरे होते ख्वाब नवाबन के
काले जामुन मन में लाते ख्याल बड़े मन भावन से
खजूर के नए जंगल बढ़ते, जैसे रोब है नायब के
सरपत के जंगल से देखो बबूल हो गए गायब से
लग्नों के दिन बजे है डीजे, बढ़ते शोर कोलाहल से
घर घर पंप लग गए देखो, पानी जाय रसातल से
पेड़ कटाने वाले दिखते, लगता हुआ दिखावत न
पुरखो की थाती सब लूटे कोई भी मोल चुकावत न
कइयों ने कुछ दिया है हमको हम भी कुछ के लिए करें
आओ इस सुंदर बगिया में हम भी फूलो के कुछ रंग भरें
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3 Comments
👌👌
ReplyDeleteBeautiful poem
ReplyDeleteGood
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