ये दुनिया तालाब की जैसी थोड़ा सा थम जाने दो |
निर्मल जल रह जाये ऊपर कचरा नीचे जम जाने दो ||
कमल बीज एक पड़ा तलहटी , मचले बाहर आने को |
सारी गन्दगी जमी है नीचे, है मुश्किल है तहखाने में ||
हर तकलीफ उठाता था वह और लगाता था वह बल |
फिर संघर्ष रंग है लाया, पानी पर तैरे दिव्य कमल ||
नजर पड़ी जब आसमान पर देखा सहस्त्र कमल दल वो |
हर्षाये ललचाये मन में बनना चाहे दलबल वो ||
जब सूरज ने देखा उसको , मन में है मुस्काये वो |
सारी खुशियाँ न्यौछावर कर मन ही मन इठलाये वो ||
मैं तुझसा तू मेरे जैसा आओ एक हो जाये हम |
इस दुनिया में मिलकर आवो ढेरों खुशियाँ लाये हम ||
हम सब भी एक दिव्य कमल हैं पद्मा माता के बच्चे|
नया साल सूरज जैसा हो सपने सबके हो सच्चे ||
आओ सूरज से प्रकाश लें ज्ञान और योगासन में |
बने प्रेरणाश्रोत सभी के काम करें अनुशाशन में ||
बने दूरदर्शी हम सब और बड़े हो अपने सपने |
ज्ञान और विज्ञान हमारे नित नित शोध विषय हो अपने ||
सावित्री के पुत्रों समझो सरस्वती के यंत्रो से |
अपनी शक्ति को तुम समझो गायत्री के मंत्रो से ||
हालत कुछ की पांडव जैसी जंगल जंगल फिरते हैं |
सब कुछ देखो छिन गया जैसे निरुद्देश्य विचरते हैं ||
समस्याएं सामने खड़ी हैं, खड़ी जरूरत एक से एक |
सत्य धर्म ही साथ हमारे चाहे करे हैं जतन अनेक ||
कृष्ण कहे हैं त्याग तपस्या ज्ञान बढ़ाये जाओ तुम |
कर्म ही है धर्म तुम्हारा पूजा करते जाओ तुम ||
पार्थ की तरह अगर निशाना, मीन चक्षु पर लगाओगे |
जो सब तुम खोये हो मित्रो व्याज सहित वापस पाओगे ||
जिम्मेदारी और लगन से यदि हर काम करोगे तुम |
कल जो थे तुम आज नहीं हो कल कुछ और बनोगे तुम ||
दिव्य शक्ति संपन्न तुम्ही हो धरती जल वायु अग्नि आकाश |
सभी शक्तियां देता तुझको, तुम मुझपर जो करो विश्वाश ||
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