अँधियारो को चीर के देखो
एक परिदा आया
था |
जन जन को विश्वाश
दिलाकर सबके मन को भाया था ||
देश के बंटवारे
से दुखी वो
फूट फूट कर रोया था |
स्वच्छ राजनीती
सिखाने को अपनी सरकार को खोया था ||
घोर विरोधी भी
जिसको माने हैं सरल विरल
|
वह कोई और नहीं बस अपने सदैव
अटल ||
कथनी करनी एक
तरह हो, तो न हो कोई कष्ट कलेश |
परमाणु शक्ति संपन्न
राष्ट्र से दिया यही शांति सन्देश ||
सांप को दूध
पिलाओ तो भी जहर ही वापस मिलता है |
बाजपेयी की
लाहौर यात्रा से भी यही सन्देश निकलता है ||
वह मतवाला प्रेमी
सबको साथ में
लेकर चलता था
|
लेकिन बात देश
की आये तो सांप का फन भी कुचलता था ||
अच्छाई कमजोरी ना हो चाहे हो
कोई भी वेश
|
कारगिल की विजय
पताका भी देती
है यही सन्देश ||
सच्ची अभिलाषा से जब करना हो
जन हित काम |
राजनीती राष्ट्र सेवा है यह नहीं
स्वार्थ का नाम
|
मस्तमौला पहचान ही
जिसकी सबपर पड़ती भारी |
वह कोई और नहीं, सिर्फ
अपने अटल विहारी ||
जीवन को हंस
कर जीना चाहे कितना हो कठिन समर |
सबके मन में यूँ ही रहें,
युग-युग अटल अजर अमर ||
3 Comments
Happy Birthday ex pm atal Bihari Vajpayee Ji
ReplyDeleteबहुत अच्छी कविता
ReplyDeleteबहुत अच्छी कविता
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