प्रिय
प्रधानमंत्री जी
सादर
अभिवादन
सबसे पहले आपको नए भारत की नीव
रखने के लिए धन्यवाद् जो कि आत्मनिर्भर हो सक्षम हो और दुनिया के साथ कदम से कदम
मिला कर, और आंख में आंख डाल कर बात करे। धारा ३७० नामक नासूर को जड़ से ख़त्म करने
का भी शुक्रिया।
हालाँकि सरकारी महकमे में
ब्याप्त संस्थागत भ्रष्टाचार को न खत्म कर पाना अभी चुनौती है लेकिन मेरा मानना है की
उसके लिए आपको अकेले दोषी ठहरना उचित भी नहीं है।
कल के डीएनए में सुधीर चौधुरी ने एक विद्यार्थी की आत्महत्या की कहानी बताई जिसमे एक होनहार बालक ने पढ़ाई में जरुरी सहयोग न पाने की वजह से आत्महत्या कर ली। मजबूर माता पिता कुछ कर पाने में असमर्थ थे। यह मजबूरी बहुत से माँ बाप के पास है कोई बोल देता है कोई बोल नहीं पा रहा है। मैंने जब से इसे सुना है मुझे बहुत ही बेचैनी है। अगर हमारी माने तो इसमें हम सब भी कहीं न कहीं जिम्मेदार हैं।
मै
आपके ऊपर व्यक्तिगत आक्षेप नहीं लगा रहा हूँ लेकिन एक देश के ताकतवर मुखिया ले रूप
में आपको और समाज का अंग होने के नाते स्वयं को भी अच्छे और बुरे सबके लिए जिम्मेदार
मानता हूँ।
इस महामारी ने सभी को प्रभावित किया है।
इसके लिए व्यक्तिगर रूप से मै अपने कॉलोनी में ऐसे बच्चो का पता लगा रहा हूँ जिन्हे
किसी रुप में चिकित्सीय और शैक्षणिक सहयोग की जरुरत है और उन्हें सहायता प्रदान की
जाती है। हम किसी से डोनेशन या सहयोग नहीं लेते कारण की ऐसा करना उन तमाम
फर्जी संगठनो की श्रेणी में आ जाना होता है जो सहायता के नाम पर लोगो से पैसा
हड़पते हैं।
आपसे एक अनुरोध है कि आप भी शाशन के स्तर पर
स्कूली बच्चो को मदद देने के लिए कुछ उपाय करें बेशक कुछ सफ़ेद हाथियों वाले
डिपार्टमेंट्स को कुछ दिन के लिए बंद कर दे जोकि सिर्फ कॉन्ट्रैक्टर्स और
अधिकारियो कि मिली भगत का अड्डा बने हुए हैं।
यह पत्र एक स्वयं सेवक होने के नाते व्यक्तिगत रूप
से लिख रहा हूँ इसका कोई राजनैतिक मतलब न निकाला जाय।
धन्यवाद्
बेंकटेश पांडेय
trufeeling.com
If you have any kind of problems then feel free to email us by filling the form below.
0 Comments
Please do not enter any spam links in the box