कृपया निजी लाभ के लिए हिन्दू देवी देवताओ का मजाक न बनाये |

कृपया निजी लाभ के लिए हिन्दू देवी देवताओ का मजाक न बनाये |


आजकल हम लोग मीडिया और दैनिक जीवन में हिन्दू देवी देवताओ का अपमान देखने के आदि हो चुके है।
 अगर आप मध्य प्रदेश या कुछ और जगहों की यात्रा करे तो क्षत विक्षत मंदिर और मुर्तिया हमारे धर्म और जीवन पर हुए अत्याचारों की कहानिया बताते मिलेंगे। ये अत्याचार विदेशी अक्रान्ताओ द्वारा हमारी श्रद्धा और विश्वास को तोड़ने के लिए किये गए हालाँकि वो इस लक्ष्य में सफल नहीं हुए लेकिन आजका परिवेश उनके इस लक्ष्य को तेजी से पूरा कर रहा है

क्या आपने किसी और धर्मावलम्बी को उसके इष्ट का अपमान करते देखा है \ क्या कोई आपने इष्ट का मजाक बनाता है ? संभवतः नहीं

हम भारतीय आदि काल से देवी देवताओ की पूजा पाठ में विश्वास रखते ह्नै। कोई भी बड़ा कार्यक्रम जैसे की बच्चो का जन्म, शादी विवाह, घर निर्माण, दुकान ऑफिस या फैक्ट्री का निर्माण इत्यादि इत्यादि बिना पूजा पाठ के सम्पन्न नन्ही होता।  इसी समाज का यह कैसा विरोधाभास है की हम अपने छोटे छोटे लाभ के लिए देवी देवताओ मजाक उड़ा रहे है।

आजकल टीवी पर सुपर शक्ति TMT सरिया का एक विज्ञापन रहा है जिसमे देवराज इंद्र के दरबार में कुछ अप्सराये नृत्य केर रही है।  अचानक कुछ प्लास्टर के टुकड़े छत से गिर पड़ते है और व्यवधान उत्पन्न हो जाता है। इंद्र बहुत ही उग्र होकर भगवान् विश्वकर्मा से इसका कारण पूछते है और नारद उसका जबाब देते है।

यह विज्ञापन अपने आप में काफी नकारत्मकता लिए हुए है। जिस भगवान् विश्वकर्मा की जयंती मनाई जाती हो और उन्हें एक कुशल शिल्पी के रूप में पूजा जाता हो उन्हें इस तरह के मनगढ़त विज्ञापनों का हिस्सा बनाना चाहिए ? क्या इस नकारात्मकता के जरिये हम अपने प्रोडक्ट के बारे में एक  सकारात्मक सन्देश दे पायंगे। सम्भवतः नहीं। क्या हमारे मार्केटिंग और पब्लिसिटी प्रोफेशनल्स कुछ नया और अच्छा तरीका नहीं सोच पा रहे है। इस तरह की कंपनियों और मार्केटिंग प्रोफेस्सनलस से अनुरोध है की कुछ अच्छा और सकारात्मकता विषय वास्तु के बारे में सोचे और देवी देवताओ का अपमान न करे।

मित्रो एक बात आप सभी जानते है की एक व्यक्ति के रूप में या समाज और देश के रूम में आप तभी सम्मान पाते है जब आप अपने सम्मान खुद करना जानते हो। आज के दौर में अपने इष्ट देवो का जितना मजाक हम हिन्दू लोग मानते ह्नै उतना सम्भवतः कोई धर्मावलम्बी नहीं मनाता। इस बात की एक जागृत मुहिम चलानी होगी तभी बदलाव आएगा। तभी सर्व धर्म समभाव होगा सभी एक दूसरे के धर्म का सम्मान करेंगे।

इस कंपनी के प्रबब्धन से अपील है की इस यथा शीघ्र इस विज्ञापन पैर रोक लगाए। और भविष्य में कुछ अच्छे और व्यावहारिक तरीके का विज्ञापन बनाये।

आप सबसे आपके विचारो का इंतजार है। कृपया आपने विचार अवश्य व्यक्त करे।

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